जिले में बच्चों की पुनः शुरू होगी “4-डी स्क्रीनिंग”
जिले में बच्चों की पुनः शुरू होगी “4-डी स्क्रीनिंग”
सीएमओं ने आरबीएसके टीमों को स्क्रीनिंग शुरू करने का दिया निर्देश
कुपोषित मिले बच्चों को पोषण पुर्नवास केन्द्र में कराएं भर्ती
वाराणसी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीमों को बच्चों की स्क्रीनिंग पुनः शुरू करने का मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि जनपद के सभी आठ ब्लाकों में यह कार्य तत्काल शुरू किया जाए और इसमें आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सहयोग लिया जाए। चिह्नित 1 से 5 वर्ष के कुपोषित बच्चों को ‘पोषण पुर्नवास केन्द्र’ में भर्ती कराया जाए। डॉ. चौधरी ने बुधवार को अपने कार्यालय में जनपद के आरबीएसके की टीमों के साथ बैठक की। बैठक में जिले के सभी 8 ब्लाकों में तैनात आरबीएसके की टीम के चिकित्साधिकारी मौजूद रहे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने से आरबीएसके के तहत बच्चों के लिए चल रही “4-डी स्क्रीनिंग” एवं कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराने का काम बाधित था लेकिन अब धीरे-धीरे सेवाएं पटरी पर लौट रही हैं। कक्षा नौ से ऊपर के स्कूल भी खुल चुके हैं। लिहाजा स्क्रीनिंग पुनः शुरू कर दी जाए। स्क्रीनिंग में यदि कोई 5 वर्ष से कम का बच्चा कुपोषित मिलता है तो उसे पं. दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय, पाण्डेयपुर के एमसीएच विंग में संचालित पोषण पुर्नवास केन्द्र में भर्ती कराया जाए। साथ ही 4-डी श्रेणी में आने वाली बीमारियों से पीड़ित बच्चों को उपचार उपलब्ध कराएं। बैठक में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.ए के गुप्ता ने बताया कि जनपद के आठ ब्लाकों में आरबीएसके की 16 टीमें कार्यरत हैं। आरबीएसके मेडिकल टीमों द्वारा ग्रामीण स्तर पर आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से बच्चों की स्क्रीनिंग की जाए । बैठक में डॉक्टर पीयूष राय जिला कार्यक्रम प्रबंधक संतोष सिंह सहित अन्य संबंधित चिकित्सक उपस्थित रहे।
यह बीमारियां 4-डी श्रेणी में हैं शामिल
बच्चों की सभी तीस प्रकार की बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटा गया है। इन श्रेणियों को 4-डी का नाम दिया गया है। इस 4-डी में पहला है डिफिसिएंसीज यानी पोषाहार में कमी की वजह से होने वाली बीमारियां, दूसरा, डिसीज यानी बच्चों की सामान्य बीमारियां, तीसरा डिफेक्ट यानी जन्मजात विकृतियों से उत्पन्न रोग एवं चौथा डेवलपमेंटल डिसीज यानी विकास में कमी वाले रोग शामिल हैं। आरबीएसके के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.ए के. गुप्ता ने बताया कि आरबीएसके में शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों का 4 डी के अन्तर्गत आने वाली बीमारियों का समुचित इलाज कराया जाता है।