रविदास जयंती पर कराएं जा रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
संत शिरोमणि गुरु रविदास जयंती पर कराएं जा रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
वाराणसी, शनिवार 27 फरवरी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में गुरु रविदास जयन्ती पर आयोजित हो रहे दो दिवसीय “राष्ट्रीय संगोष्ठी” के दूसरे दिन के कार्यक्रम का भी आयोजन आईएमएस ( बीएचयू ) के “केएन उड़प्पा सभागार” में किया गया। जिसमे सांस्कृतिक कार्यक्रम और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दलित महापुरुषों के प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित और दिप प्रज्वलित कर किया गया और साथ ही साथ बुद्ध गीत। कार्यक्रम में आये अतिथि डॉ अनिता भारती ( दलित कवि और साहित्यकार ) काशी हिन्दू विश्विद्यालय के छात्र रहे युवा कवि डॉ रामबचन यादव , और छात्रा पूजा यादव , डॉ शिवेंद्र मौर्या, बीएचयू के प्रोफेसर महेश प्रसाद अहिरवार आदि कई कवि उपस्थित रहे। पूरे काव्यगोष्ठी का विषय गरीबो दलितों और महिलाओं के इर्द गिर्द रहा।
गुरु जी की सामाजिक उत्थान में योगदान, उनके द्वारा फैलाये गये चेतन और बेबाकी से रखे मतो की चर्चा की गयी। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के बीएचयू बहुजन इकाई द्वारा कार्यक्रम का आयोजन बहुत ही भव्य तरीके से हुआ। यह संत शिरोमणि गुरु रविदास जी का 644 वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। सबसे पहले काव्य गोष्ठी कवियत्री डॉ अनिता भारती द्वारा किया गया। जो उनके द्वारा रचित थी। उनकी कविता का विषय दलितों , गरीबो , महिलाओं और उनके आन्दोलनों से सम्बंधित रहा। साथ ही साथ वो अपनी कविताओं के द्वारा वर्तमान में चल रही तमाम बुराइयों कुरीतियों को अवगत कराया तथा उसके निवारण के रास्तों को भी दिखाया। उन्होंने के कहा शरीर मरता है विचार नही इस लिए हमे सदैव समाज के प्रति जागरूक रहना चाहिए और लोगो के उथान के लिए हमेशा काम करते रहना चाहिए। डॉ एमपी अहिरवार अपने कविता में भारत मूल निवासियों के उत्पत्ति को उजागर किया तथा राखीगढ़ी में मिले अवशेषों का हवाला देते हुये वैज्ञानिक सुबूत भी दिया। युवा कवियत्री पूजा यादव अपनी कविताओं में महिलाओं की दुर्दशा को बयां किया। कार्यक्रम के आकर्षक रहे डॉ शिवेंद्र मौर्य अपने हास्यात्मक कविता से सभागार में मौजूद सभी दर्शको का खूब मनोरंजन किया और साथ ही साथ सामाजिक बुराई और राजनितिक पर व्यंग कर लोगो का दिल जीत लिया। युवा कवि डॉ रामबचन यादव अपने द्वार रचित भोजपुरी कविता जो कि विदेशीय शैली में था का व्याख्यान कर भोजपुरी के प्रति लोगो को जागरूक करने का काम किया औऱ बताया कि कविता और अभिव्यक्ति के लिए भाषा कोई बाधक नही हो सकता।
अध्यक्क्षी भाषण बहुजन चिंतक और साहित्यकार रूपचंद गौतम जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में गुरु रविदास जी पर गीत संगीत पंजाब की रविदास पन्त इकाई और काशी लंगर समिति द्वारा लाइव प्रस्तुति और गिटार द्वारा खुद का कंपोज़ किये गये संगीत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र विवेक कुंवर द्वारा किया गया।
लाइव पेंटिंग में फाइन आर्ट्स के छात्र अमित वर्मा द्वार संत गुरु रविदास का चित्र बना कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया साथ ही साथ दर्शक भी दर्शक दीर्घा में खडे हो कर उनका स्वागत और सम्मान किया। कार्यक्रम के समाप्ति के उपरांत हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी रविदास जयंती पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें परंपरा के अनुसार शोभायात्रा कशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम पी थिएटर के तथागत चैराहे से चीफ प्रॉक्टर आंनद चौधरी के उद्धघाटन के बाद निकली गई । और उन्ही के निगरानी में कोविद 19 के नियमों का पालन करते हुए शोभायात्रा बीएचयू के सिंह द्वार से होते हुए रविदास गेट से रविदास मार्ग होते हुए सिरगोवर्धन स्थित गुरु रविदास मंदिर के पास समाप्त हुयी। शोभायात्रा को बहुत ही भव्य तरीके से सजाया गया था। जिसमे छात्र हर्षोल्लास के साथ नाचते गाते सव्य तरीके से शोभायात्रा को अपने अंतिम पड़ाव तक ले गये।