अधिवक्ता हित की बात निजी स्वार्थ और प्रलोभन से बच कर ही किया जा सकता है,वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद कुमार सिंह
अधिवक्ताओं द्वारा पूछे गए सवालों पर अपने बेबाक अंदाज मे दिया जवाब, वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद कुमार सिंह ने,
क्या वास्तव में अधिवक्तताओ को अपना
सही प्रतिनिधित्व मिल रहा है ? क्या बार
एसोसिएशन में साफ सुथरा ईमानदार प्रत्याशी चुना जा रहा ?
जिस प्रकार की विकृतियां
एसोसिएशन के चुनाव में देखने को बिगत कई वर्षों से देखने को मिल रही उसमे आप की क्या राय है क्योकि आपको बेबाकी से अपनी बातों को रखने वाला स्पष्ट वक्ता के रूप में जाना जाता है, प्रश्न आपसे यह कि एक आम अधिवक्ता जो अधिवक्ता हित मे अपनी सेवा देना चाहता है वह क्या करे ?वरिष्ठ अधिवक्ता फौजदारी विनोद कुमार सिंह ने जो जवाब दिया आपके समक्ष है
अधिवक्ताओ से इतर क्या आपके पास नारे लगा वोटो को मैनिपुलेशन करने की क्षमता है ? निजी स्वार्थ मे कचहरी आने वाले बाहरी समर्थक है ?
अगर हाँ तभी चुनाव लड़ने का साहस करिये , इसके अलावा फ्रीज – कूलर – एसी – पंखे – लाइटें – डायरिया -कलेंडर – मिठाई के डिब्बे बाटने की काबिलियत होनी चाहिए और हाँ दारू – मुर्गा / मटन की अनेको पार्टिया भी और वोटो के लिए अधिवक्ताओ की आठ महीने की सदस्यता की फीस भी भरनी होगी यह पद प्राप्ति हेतु योग्यताएं है , क्या है आपके पास ?? क्या है बाहरी समर्थक जो चुनाव के वक्त नारे लगा वोटरों की दिग्भ्रमित कर दे ? क्या कहा आपने ? नही है तब अगले वर्ष हेतु कोशिश मत करिए , ये संघ आप जैसे साफ – सुथरे छवि वालो के लिए नही बना है, और श्रेष्ठ अधिवक्ता व फर्जी अधिवक्ता खोज रही स्थानीय बार काउंसिल की आँखे भी बन्द हो जाती है भाई , क्योकि उन्हें भी तो बार पर ऐसो को पहुँचा आगे की राजनीति करनी है ?