दीयों की रोशनी से जगमगा उठा मणि मंदिर
करपात्र प्राकट्योत्सव पर दीयों की रोशनी से जगमगा उठा मणि मंदिर
करपात्र प्राकट्योत्सव पर एक साथ जले इकतालिस हजार छह सौ दस दीये
वाराणसी, 9 अगस्त। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की तपोस्थली धर्मसंघ सोमवार को दीपों के प्रकाश से जगमगा उठा। दुर्गाकुण्ड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मण्डल में चल रहे पंच दिवसीय 114 वें करपात्र प्राकट्योत्सव में प्राकट्य दिवस की पूर्व संध्या पर करपात्र दीपावली मनाई गयी। इस अवसर पर जैसे ही इकतालिस हजार छह सौ दस दीये एक साथ प्रज्ज्वलित किया गया, वैसे ही पूरा परिसर दीयों की रोशनी से नहा उठा। सायंकाल गोधूलि बेला में प्रांगण स्थित भव्य एवं विशाल मणि मन्दिर को दिव्य तरीके से सजाया गया था। इसके अलावा मुख्य द्वार, करपात्र प्रतिमा, करपात्र सभागार, महाराज निवास, अन्नपूर्णा भण्डार, गौशाला, बाग, अतिथि गृह तथा कार्यालय सभी जगहो पर एक साथ दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इस अवसर पर मुख्य द्वार से लगायत सम्पूर्ण प्रांगण में विद्युत झालरों एवं दीपकों की भी आकर्षक सजावट की गई थी। सर्वप्रथम धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रम्हचारी जी महाराज एवं पं.जगजीतन पाण्डेय ने मणि मन्दिर के मुख्य सभागार में स्वस्तिवाचन के बीच प्रथम दीपक प्रज्ज्वलित किया, उसके उपरान्त वैदिक आचार्यो एवं बटुकों ने एक साथ पूरे धर्मसंघ प्रांगण में दीपक जलाए। दीपकों एवं विभिन्न प्रकार के पुष्पों से सनातन धर्म के प्रतीक चिन्ह बनायें गये थे, जिनमें स्वास्तिक, ओमकार, त्रिशूल, नन्दी, शंख, कमलपुष्प आदि प्रतीक चिन्ह बेहद आकर्षक लग रहे थे। एक साथ पूरे परिसर में दीप प्रज्ज्वलित होते ही समूचे धर्मसंघ में अत्यन्त विहंगम दृश्य नजर आया। वहीं करपात्र दीपावली के अवसर पर रंगोली भी सजायी गयी थी। मुख्य द्वार पर सुस्वागतम् की रंगोली बेहद मनमोहक रही, उसके अलावा मणि मन्दिर के चारों स्तंभों पर कमल पुष्प की रंगोली, हाॅल के मध्य में विशाल कलश की रंगोली तथा चारों और सनातनी प्रतीक चिन्ह के ओम तथा स्वास्तिक तथा फूलो से धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो जैसे धर्मवाक्य खासा आकर्षण का केन्द्र रहे। इस अवसर पर धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रम्हचारी जी महाराज ने बताया कि प्रत्येक वर्ष करपात्र प्राकट्य दिवस की पूर्व संध्या पर करपात्र दीपावली मनाने की परम्परा रही है। आज के दिन हम स्वामी करपात्री जी महाराज के इस धरती पर अवतरित हुए दिनों के बराबर दीपदान कर उन्हें नमन करते है। सनातन धर्म में दीपक का महत्व अत्यन्त शुभ माना गया है, इसलिए दीपदान कर हम विश्व के कल्याण एवं कोरोना महामारी से सम्पूर्ण विश्व की रक्षा की कामना करते है। इस दौरान मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, सबमे तस्वीर लेने की होड़ मची रही। धर्मसंघ के महामंत्री पं. जगजीतन पाण्डेय ने बताया कि प्राकट्योत्सव के चौथे दिन मंगलवार को अपराह्न 1:30 बजे से करपात्र रत्न सम्मान समारोह आयोजित किया जायेगा। जिसमे प्रकाण्ड विद्वान प्रोफेसर जयशंकर लाल त्रिपाठी को अतिविशिष्ट प्रबुद्धजनों की उपस्थिति में प्रदान किया जाएगा।