एससी/एसटी आयोग हिंदी अधिकारियों संग सहायतित एवं विकास कार्यों की समीक्षा
एससी/एसटी आयोग हिंदी अधिकारियों संग सहायतित एवं विकास कार्यों की समीक्षा
एससी/एसटी एक्ट का सदुपयोग हो, दुरुपयोग नहीं- रामनरेश पासवान, उपाध्यक्ष एससी/एसटी आयोग
वाराणसी,18 अगस्त। उत्तर प्रदेश एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष डॉ रामबाबू हरित की अध्यक्षता में बुधवार को सर्किट हाउस में एससी/एसटी हेतु सरकार द्वारा क्रियान्वित कल्याणकारी एवं विकास योजनाओं के प्रगति की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक में बताया गया कि जनपद में इस वर्ष अप्रैल से अब तक एससी/एसटी उत्पीड़न के 58 मामले प्रकाश में आए, सभी में पीड़ित पक्ष को शासन द्वारा निर्धारित आर्थिक सहायता की धनराशि उपलब्ध करा दी गई है। इस वर्ष अब तक मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में 64 परिवारों की लड़कियों की शादी कराई जा चुकी है। प्रत्येक शादी पर 51 हजार रूपये के हिसाब से अनुदान/आर्थिक सहायता/उपहार उपलब्ध कराए गए हैं। आगामी 15 नवंबर को पहली सहालग में प्रत्येक ब्लॉक में कैंप लगाकर एससी/एसटी परिवार के लड़कियों की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में शादी कराई जाएगी। इसके लिए 58 लड़कियों की शादी का पंजीकरण हो भी चुका है। एससी/एसटी विद्यार्थियों के लिए जनपद में तीन आश्रम पद्धति स्कूल संचालित हैं। अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम द्वारा 1200 एससी/एसटी लोगों को स्वतः रोजगार में ऋण व अनुदान दिया गया है। जिला दिव्यांगजन अधिकारी ने बताया कि विभिन्न योजनाओं में 21 फीसदी एससी/एसटी लाभार्थियों को लाभान्वित किया जाता है। विकलांगता की शल्य चिकित्सा पर सामान्य ट्रीटमेंट में 10 हजार रुपए अनुदान तथा विशेष सर्जरी आदि पर 6 लाख रुपये तक अनुदान दिया जाता है। जनपद में ऐसे 13 दिव्यांगजनों की शल्य चिकित्सा बीएचयू व हेरिटेज अस्पताल में कराई जा चुकी है। दिव्यांगजनों को 500 रुपये मासिक पेंशन, उपकरण, शादी अनुदान पुरस्कार व स्वतः रोजगार हेतु ऋण अनुदान दिया जाता है। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि पति की मृत्यु के बाद निराश्रित गरीब महिलाओं को पेंशन, अपने माता पिता को खोने वाले बच्चों को बाल सेवा योजना में अच्छादित कर सहायता दी जा रही है। अध्यक्ष डॉ रामबाबू हरित ने कहा कि उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग का मुख्य कार्य प्रदेश में रह रहे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की ओर से प्राप्त शिकायतों का अनुश्रवण/सुनवाई करना और उसका सम्यक विधि एवं विधिपूर्ण समाधान करना है। आयोग के समक्ष अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के जो प्रकरण आते हैं यह मुख्यता पुलिस एवं राजस्व विभाग से संबंधित होते हैं। इसके अतिरिक्त आयोग के समक्ष विभागीय एवं उत्पीड़न के मामले में दी जाने वाली आर्थिक सहायता से संबंधित मामले भी आते हैं। आयोग कुछ मामलों में जैसे समाचार पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आई खबरों को स्वतः संज्ञान भी लेता है। इसके पश्चात आयोग द्वारा ऐसे मामलों को विधिक ढंग से निपटाने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने अध्यक्ष के पद पर 18 जून 2021 को कार्यभार ग्रहण किया है। उस समय आयोग में सुनवाई हेतु 342 मामले लंबित थे, जिनमें पुलिस विभाग के 280, राजस्व विभाग के 40 व अन्य विभाग से संबंधित 22 मामले लंबित थे। उनके 1 माह से भी कम कार्यकाल में कुल 307 प्रार्थना पत्र आयोग में प्राप्त हुए। जिनमें से 157 मामलों में संबंधित विभागों को अपने स्तर से निस्तारण हेतु भेजे गए, 150 मामलों में संबंधित विभागों से आख्याये मगाकर आयोग द्वारा निस्तारण किया गया। अध्यक्ष डॉ रामबाबू हरीत ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता के प्रकरणों को उन्होंने गंभीरता पूर्वक संज्ञान लेकर उनका त्वरित निस्तारण कराया। जिसके फलस्वरूप एक माह से कम की अल्पावधि में 6 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए पीड़ित परिवार को 9 लाख 75 हजार रुपए की धनराशि आर्थिक सहायता के रूप में आयोग के हस्तक्षेप से उपलब्ध कराई गई। इससे पीड़ित व उसके परिवार के सदस्यों को आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ और वे पुनर्वास की प्रक्रिया में शामिल हुए। आयोग के उपाध्यक्ष राम नरेश पासवान ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट का सदुपयोग हो। शासन की योजनाओं का समुचित लाभ पात्र के एससी/एसटी व्यक्ति को समय से प्राप्त हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि एससी/एसटी के हर प्रकार के मामलों में त्वरित न्याय हो। किसी के साथ अन्याय नहीं हूं तथा एक्ट का दुरुपयोग भी नहीं। इस अवसर पर आयोग के सदस्य मनोज सोनकर, सदस्य अनीता सिद्धार्थ सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारी, समाज कल्याण, प्रोबेशन, दिव्यांगजन, सूचना, पुलिस विभाग के अधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहें।