अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर यूवजन सभा के लोगों द्वारा नौजवानों को संविधान की शपथ दिलाई गई,
अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर यूवजनसभा के लोगों द्वारा नौजवानों को संविधान की शपथ दिलाई गई,
दलितों,पिछड़ों, दबे कुचलों के मसीहा भारतरत्न डॉ0 भीमराव आम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर युवजन सभा महानगर अध्यक्ष सत्यप्रकाश सोनकर सोनू और पूर्व पार्षद वरुण सिंह के नेतृत्व में युवजनसभा महानगर द्वारा रविन्द्रपुरी कालोनी में स्थित बाबा साहब के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नौजवानों को संविधान की शपथ दिलाई गई, अपने विचार व्यक्त करते हुए युवजनसभा महानगर अध्यक्ष सत्यप्रकाश सोनकर सोनू ने कहा डॉ0 भीमराव आम्बेडकर के वजह से दलितों, पिछड़ों और वंचितों को संविधान के तहत न्याय मिल सका है, आज के परिवेश में संविधान को समझने और उसकी रक्षा करने की जरूरत है। पूर्व पार्षद वरुण सिंह ने कहा डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय भारतीय अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ विधिज्ञाता और समाज सुधारक थे उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था, श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे,
महानगर उपाध्यक्ष संजय यादव , कैण्ट विधानसभा अध्यक्ष अरविन्द यादव गोलू और दक्षिणी विधान सभा अध्यक्ष आकाश पाण्डेय ने कहा द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध के अन्तर्गत एक जनवरी 1818 को हुई कोरेगाँव की लड़ाई के दौरान मारे गये भारतीय महार सैनिकों के सम्मान में आम्बेडकर ने 1 जनवरी 1927 को कोरेगाँव विजय स्मारक (जयस्तंभ) में एक समारोह आयोजित किया। यहाँ महार समुदाय से संबंधित सैनिकों के नाम संगमरमर के एक शिलालेख पर खुदवाये गये तथा कोरेगाँव को दलित स्वाभिमान का प्रतीक बनाया,
सन 1927 तक, डॉ॰ आम्बेडकर ने छुआछूत के विरुद्ध एक व्यापक एवं सक्रिय आंदोलन आरम्भ करने का निर्णय किया, उन्होंने सार्वजनिक आंदोलनों, सत्याग्रहों और जलूसों के द्वारा, पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी वर्गों के लिये खुलवाने के साथ ही उन्होनें अछूतों को भी हिंदू मन्दिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिये संघर्ष किया,ब्लाक प्रमुख प्रवेश पटेल ,
महानगर उपाध्यक्ष सौरभ यादव बेटू और नगर उपाध्यक्ष अजफर उर्फ गुड्डू मास्टर ने कहा आम्बेडकर ने कहां था की उनका जीवन तीन गुरुओं और तीन उपास्यों से सफल बना है, उन्होंने जिन तीन महान व्यक्तियों को अपना गुरु माना, उसमे उनके पहले गुरु थे तथागत गौतम बुद्ध, दूसरे थे संत कबीर और तीसरे गुरु थे महात्मा ज्योतिराव फुले थे, उनके तीन उपास्य (देवता) थे ज्ञान, स्वाभिमान और शील, महानगर महासचिव राकेश कुमार पॉल ,वीरेन्द्र यादव और अशरफ खा ने कहा अपने लेखन द्वारा उन्होंने दलितों व देश की समस्याओं पर प्रकाश डाला, उन्होंने लिखे हुए महत्वपूर्ण ग्रंथो में, अनहिलेशन ऑफ कास्ट, द बुद्ध अँड हिज धम्म,कास्ट इन इंडिया, हू वेअर द शूद्राज ?, रिडल्स इन हिंदुइझम आदि शामिल हैं, 32 किताबें और मोनोग्राफ (22 पुर्ण तथा 10 अधुरी किताबें), 10 ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य, 10 अनुसंधान दस्तावेज, लेखों और पुस्तकों की समीक्षा एवं 10 प्रस्तावना और भविष्यवाणियां इतनी सारी उनकी अंग्रेजी भाषा की रचनाएँ हैं। नगर सचिव आलोक गुप्ता,कोषाध्यक्ष स्वपनील सोनकर सौरभ और नगर सचिव रवि कुमार बिन्द उर्फ भानु ने कहा विद्यालयी पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को छुआछूत के कारण अनेका प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ता था। रामजी आम्बेडकर ने सन 1898 में जिजाबाई से पुनर्विवाह कर लिया। 7 नवम्बर 1900 को रामजी सकपाल ने सातारा की गवर्न्मेण्ट हाइस्कूल में अपने बेटे भीमराव का नाम भिवा रामजी आंबडवेकर दर्ज कराया। भिवा उनके बचपन का नाम था, आम्बेडकर का मूल उपनाम सकपाल की बजाय आंबडवेकर लिखवाया था, जो कि उनके अंबेडकर गाँव से संबंधित था, क्योंकी कोकण प्रांत के लोग अपना उपनाम गाँव के नाम से रखते थे,अन्य वक्ताओं ने भी संविधान के निर्माता के परिनिर्वाण दिवस को प्रेरणा के रूप में मनाने का संकल्प लेते हुए संविधान की रक्षा का संकल्प लिया, पुष्प अर्पित कर शपथ लेते हुए विचार रखने वालों में प्रमुख रूप से – सत्यप्रकाश सोनकर सोनू , वरुण सिंह , ब्लाक प्रमुख प्रवेश पटेल , महानगर महासचिव राकेश कुमार पॉल , संजय यादव , वीरेन्द्र यादव , अशरफ , आलोक गुप्ता , सतीश पाल , रवि बिन्द भानु , स्वपनील सोनकर सौरभ , सौरभ यादव बेटू , सन्तोष पाण्डेय , आकाश पाण्डेय , धर्मेन्द्र यादव फौजी , अजफर गुड्डू मास्टर , आकाश सोनकर , लव सोनकर , ब्यूटी सोनकर ,