दो दिवसीय सर्वोदय समाज सम्मेलन हुआ सम्पन्न,
दो दिवसीय सर्वोदय समाज सम्मेलन हुआ सम्पन्न
वाराणसी। उत्तर प्रदेश सर्वोदय समाज सम्मेलन का आयोजन 14 ,15 फरवरी को साधना केंद्र परिसर राजघाट वाराणसी में हुआ । जिसमे सर्व सेवा संघ के वर्तमान अध्यक्ष चंदन पाल जी मुख्य अतिथि रहे, पूर्व अध्यक्ष अमरनाथ भाई ने उद्धाटन किया। केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष श्री राम चन्द्र राही ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि दुनिया मे विचारों की लड़ाई हमेशा रही है,
आज भी वही हो रहा है। मैं किसानों के आंदोलन को श्रमजीवियों का अहिंसक आंदोलन मानता हूँ।यह गण सेवकत्व का सामूहिक नेतृत्व का आंदोलन है। यह परजीवियों का आंदोलन नही है। उत्पादकों का समाज बनाने का सपना बापू ने देखा था। यह मौका है हम सबको अपनी सहभागिता देनी होगी।उत्तर प्रदेश गांधी निधि के मंत्री लाल बहादुर राय ने खादी संस्थाओ की बर्बादी कमीशन के कारण हूई है यह कहा।मुख्य वक्ता प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता श्री राजेन्द्र सिंह ( मैग्सेसे अवार्ड विजेता) ने कहा कि मोदी जी ने देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी, सनातन काशी की पहचान को समाप्त कर दिया। गंगा मैया की धारा को बांध कर 200 मीटर पाट कर अनर्थ कर रहे हैं। मैं जल की संस्कृति के संरक्षण के लिए लड़ने वाले व्यक्ति और कार्यकर्ताओं के साथ आज उनके विरोध के लिए कमर कस कर उतरूँगा। बाजार की ताकतों को नदियों को बेचने की छूट नही दी जा सकती है। उत्तराखंड की त्रासदी बांध के कारण और चार धाम सड़को के कारण आई है। हम इन परियोजनाओं और बनारस में कॉरिडोर गंगा एक्सप्रेस वे की परियोजना का विरोध करते हैं। विश्वनाथ मंदिर के आसपास गंगा नदी तट पर ये विध्वंश की जो कार्यवाही चल रही है यह न तो सांस्कृतिक है और न ही धार्मिक। यह एक आसुरी प्रवृत्ति का कार्य साबित होगा , जो कि प्रकृति को , जीवन को और बनारस की पहचान को बहुत नुकसान पँहुचाएगा। उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष भगवान सिंह, पूर्व अध्यक्ष रवींद्र चौहान, युवा भारत से सत्यप्रकाश भारत जी, अरुण मिश्रा, उन्नाव से पुतुल, सर्व सेवा संघ की मंत्री शुभा, प्रकाशन के संयोजक अरविंद अंजुम, संजीव सिंह, धनन्जय त्रिपाठी, वल्लभाचार्य , विनोद , गोपाल पांडे, कमलेश यादव, महेंद्र राठौड़, अरविंद कुशवाहा, अनूप श्रमिक, ईशर चंद, जावेद, हरिश्चंद्र बिंद आदि सैकड़ो गांधी विचार के कार्यकर्ताओं की एकजुटता रही। 15 फरवरी के सत्रों में किसान आंदोलन और पर्यावरण संकट पर चर्चा हुई। युवा शिविर, महिला शिविर, यात्रा , सम्मेलन आदि की योजनाएं बनी है। सम्मेलन के अंत मे पुलवामा के शहीदों और किसान आंदोलन के शहिदों को श्रद्धांजलि दी गई। सर्व धर्म प्रार्थना हुई। सम्मेलन का संयोजन रामधीरज ने और संचालन पुतुल ने किया।