द्रुतगामी न्यायालय ने मारपीट के आरोपी का जमानत अर्जी की खारिज,
अधिवक्ता
मयंक मिश्रा
वाराणसी
मारपीट के आरोपित की जमानत अर्जी द्रुतगामी न्यायालय से ख़ारिज,
फौजदारी के वरिष्ठ वकील मयंक मिश्रा के विरोध पर न्यायालय ने आरोपी की जमानत अर्जी को किया खारिज,
शराब पीकर हुड़दंग करने पर विरोध करने को लेकर पड़ोसी व 6 अन्य द्वारा मार- पिट कर आंख फोड़ देने के मामले में मुख्य आरोपित की जमानत अर्जी निरस्त कर दी। फास्ट ट्रैक कोर्ट (प्रथम) की अदालत ने थाना- भेलूपुर, वाराणसी में अपराध संख्या 516/20 , अंतर्गत धारा- 323,504,326 भा. द. वि. में सुनवाई करते हुए जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दी,
अभियुक्त की तरफ से उनके अधिवक्ता द्वारा दलील दी गई कि उक्त अपराध अंतर्गत धारा 323,504, 506 भा. द. वि. में अज्ञात में दर्ज कराई गई थी एवं मजीद बयान के आधार पर पुलिस प्रार्थी को अभियुक्त बनाई है तथा प्रार्थी का उक्त अपराध से कोई लेना देना नहीं है। प्रार्थी उक्त अपराध के विवेचक के यहां दूध देने का कार्य करता था तथा उक्त अपराध के विवेचक द्वारा विगत 2 माह से प्रार्थी के दूध का पैसा नहीं दिया गया जब प्रार्थी ने इसका विरोध किया गया तो उक्त अपराध के विवेचक ने मात्र उससे बदला लेने कि नियत से उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया है,
वादी की तरफ से उनके अधिवक्ता मयंक मिश्र एडवोकेट ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुवे सबूत के तौर पर वादी की सारी फोटो, मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए अपनी दलील में यह कहा कि अभियुक्त और उनके दोस्तों द्वारा शराब पीकर हुड़दंग किया जा रहा था जब वादी ने उसका विरोध किया तो सब लोगों ने मिलकर धारदार हथियार, ईट पत्थर से उसे जान से मारने की नियत से उस पर प्रहार किया जिसमें उसकी आंख और सर पर गंभीर चोटें आई और उसकी बाई आंख की रोशनी पूरी तरह से चली गई। ऐसी दशा में यदि उसे बेल दी गई तो वह प्रार्थी की हत्या तक कर देगा,
माननीय न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मेडिकल रिपोर्ट, फोटो व अन्य साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद अभियुक्त द्वारा 326 भा. द. वि. का अपराध करना अति निंदनीय बताया साथ ही वादी मुकदमा की आंख की पूर्णता रोशनी चले जाना भी गंभीर प्रवृत्ति का अपराध बताते हुवे अभियुक्त की जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया,