ओबीसी आरक्षण को लेकर लोगों ने सभा कर निकाला विरोध मार्च
सामाजिक न्याय आंदोलन के बैनर तहत ओबीसी आरक्षण को लेकर लोगों ने सभा कर निकाला विरोध मार्च
वाराणसी, सोमवार 26 जुलाई। सामाजिक न्याय आंदोलन के बैनर तहत सोमवार को बीएचयू सिंह द्वार से सभा कर एक मार्च निकाला गया, जो लंका से रविदास गेट व रविदास गेट से पुनः लंका गेट जाकर समाप्त हो गया। सामाजिक न्याय आंदोलन के लोगों ने राष्ट्रपति व जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से अवगत कराएंगे। वक्ताओं ने बताया कि भारतीय संविधान में उल्लेखित प्रावधानों के तहत देश की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू है। जब से यह आरक्षण लागू हुआ है, तभी से केंद्र और राज्य की सत्ता में काबिज विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, पिछड़ा वर्ग को मिले 27 प्रतिशत आरक्षण को ईमानदारी से लागू नहीं कर रही है। सरकार में शामिल मंत्री और सरकारी तंत्र में शामिल पदाधिकारी ओबीसी आरक्षण की मनमानी व्याख्या कर पिछड़ा वर्ग के अधिकारों का लगातार हनन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र की वर्तमान राजग सरकार मेडिकल की पढ़ाई के लिए जरूरी NEET के ऑल इंडिया कोटा(AIQ) के तहत राज्यों द्वारा समर्पित सीटों में OBC का 27 प्रतिशत कोटा लागू नहीं कर रही है जबकि तमिलनाडु उच्च न्यायालय इसे लागू करने का आदेश दे चुका है। इससे पिछले 8 सालों में लगभग 20,000 से अधिक पिछड़ा वर्ग के योग्य छात्र डॉक्टर नहीं बन पाए। पिछले तीन सालों में ही पिछड़ा वर्ग की 11000 से ज्यादा ओबीसी की सीटें ऊंची जातियों के लोगों ओर धन्नासेठों को दे दी गईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की भाजपा सरकार सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर ओबीसी वर्ग को गुमराह कर रही है। वहीं उसने सवर्णों के गैर-संवैधानिक ईडब्ल्यूएस ( Economically Weaker Sections) आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बाद भी सभी शिक्षण संस्थानों समेत सरकारी नौकरियों में लागू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में बहुतायत संख्या में बैठे एक जाति विशेष के न्यायमूर्ति एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण के मामलों में इन वर्गों के हितों के खिलाफ फैसला दे रहे हैं जबकि अपनी जाति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए उनके पक्ष में। ईडब्ल्यूएस का मामला भी ऐसा ही है। गैर-संवैधानिक कानून पर रोक लगाए बिना ही न्यायमूर्ति लोगों ने मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया। इस दोहरे चरित्र से ओबीसी वर्ग के प्रति सरकार और तंत्र का घटिया मंसूबा स्पष्ट हो जाता है। महोदय, इतना ही नहीं एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का हक मारने के लिए कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुई लैटरल एंट्री के जरिए वर्तमान की भाजपा सरकार तानाशाह की तरह ‘ए ग्रेड’ की सरकारी नौकरियों में आरक्षित वर्गों की सीटों को सवर्णों को दे रही है। महोदय, ऐसी बहुत सी समस्याएं हैं, जिनसे पिछड़ा वर्ग सहित सभी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का हक मारा जा रहा है।
उन्होंने निम्नलिखित मांग किया
(1) NEET के AIQ के तहत समर्पित सीटों में OBC का 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कीजिए।
(2) आरक्षण के प्रावधानों के उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाइए।
(3) जनगणना-2021 में सभी वर्गों की जातिवार जनगणना कराइए।
(4) आबादी के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू कीजिए।
(5) सामान्य वर्ग की जातिवार सामाजिक और आर्थिक जनगणना कराइए।