त्रैमासिक पौरोहित्य एवं योग प्रशिक्षण केंद्र कि की गई स्थापना
संस्कृत के विद्यार्थियों के लिये त्रैमासिक पौरोहित्य एवं योग प्रशिक्षण केंद्र कि की गई स्थापना
वाराणसी, गुरुवार 18 फरवरी। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के योगसाधना केंद्र मे शाम उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ एवं इस विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृत के विद्यार्थियों के लिये त्रैमासिक पौरोहित्य एवं योग प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना किया गया। जिसका उद्घाटन वरिष्ठ आचार्य प्रो. हरिशंकर पान्डेय की अध्यक्षता में किया गया। प्रो. पान्डेय ने कहा कि संस्कृत संस्थान द्वारा पौरोहित्य एवं योग का प्रशिक्षण कार्यक्रम तीन माह के लिये चलाया जा रहा जो की अनवरत चलने वाले प्रशिक्षण से यहां के विद्यार्थी राष्ट्रीय क्षितिज पर पहुँचकर वैदिक एवं सनातन परम्परा को प्रचारित तथा प्रसारित करेंगे। वे निश्चित ही अपने को व्यक्तिगत स्तर पर तथा रोजगार हित मे संलग्न करेंगे।
पौरोहित्य कार्य आज विश्व पटल पर बहुत छाया हुआ है। इसके लिये कई देश यहां के विद्यार्थियों की माँग इसके लिये किया करते हैं उन्हे रोजगार के बहुत बड़े आयाम से जोडने का कार्य है। ये विद्यार्थी भारतीय प्राच्य विद्या को संरक्षित और सुरक्षित कर एक धारा मे प्रवाहित करेंगे। कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा की योग भारत की प्राचीन विधा है,इसके लिये भारत के प्रधानमंत्री मा. नरेंद्र मोदी ने विश्वस्तर पर पहुँचाकर एक विशेष दिवस के रुप मे इसकी (योग) पहचान कराये। यह संस्कृत के पातंजलि ऋषि की धार से उत्पन्न ज्ञान है, स्वास्थ्य की महत्ता तब होगी जब हम योगी भाव मे होंगे। “स्वस्थ काया स्वस्थ राष्ट्र” का संदेश इसके माध्यम से प्रशिक्षित विद्यार्थी देंगे।
कुलपति प्रो. पान्डेय ने कहा की पौरोहित्य और योग प्रशिक्षण की इस योजना से हमारे विद्यार्थियों को विभिन्न रुपों मे रोजगारपरक ज्ञान का संचार होगा साथ ही वे अपने माध्यम से अन्य लोगों को भी इस भाव मे प्रेरित करेंगे। यह प्रशिक्षण कार्य अनवरत चलता रहेगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रुप से प्रो महेंद्र पान्डेय, प्रो राघवेंद्र दुबे, डॉ शरद नागर, डॉ विजय शर्मा, डॉ सत्येंद्र कुमार यादव, डॉ राजकुमार मिश्र, डॉ जयंतपति त्रिपाठी, डॉ रविशंकर पांडेय, डॉ हरिबंश, उपेन्द्र दुबे आदि अध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र उपस्थित थे।