संयुक्त किसान मोर्चा ने लहरतारा से खेवली तक निकाली यात्रा
लहरतारा से खेवली तक निकाली गयी यात्रा
वाराणसी। कबीर जन्मस्थली लहरतारा से जनकवि सुदामा प्रसाद पांडेय धूमिल के गाँव खेवली तक संयुक्त किसान मोर्चा वाराणसी के कार्यकर्ताओ ने मिट्टी संग्रह यात्रा के कार्यक्रम के माध्यम से किसान आंदोलन के समर्थन में एकजुटता प्रदर्शित किया। कबीर उद्भव स्थल लहरतारा से निकली यात्रा बौलिया, गेट नं.5, बदेवली, भरथरा, छितौनी, सरहरी, कोरौती, लहिया, कपरफोरवा होते हुए खेवली (सुदामा पाण्डे “धूमिल” जी के ) गांव तक पहुंची। यात्रा के दौरान किसान कानूनों के दुष्प्रभावों से लोगो को अवगत कराने के लिए पर्चा वितरण किया गया और जगह जगह पर नुक्क्ड़ सभाएँ आयोजित की गयी। मिट्टी संग्रह का कारण बतलाते हुए एक कार्यकर्ता ने बतलाया की 91 वर्ष पहले गांधीजी ने नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध सविनय कानून भंग का कार्यक्रम बनाया था। बापू ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी (गुजरात) तक की पदयात्रा की थी। और 6 अप्रैल की सुबह मुठ्ठी भर नमक अपने हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून को भंग किया था। बस इसके बाद अलख जगी और पूरे देश में हजारों जगह लोगों ने नमक बनाया और अंग्रेजो के कानून को तोड़ दिया। आज हम सबके सामने एक वैसी ही परिस्थिति आन पड़ी है। बीजेपी की सरकार अपने पूंजीपति दोस्तों को सहायता देने के लिए किसानो की जमीन, उनकी फ़सल सब सौंप देना चाह रही है। किसानो के लिए लाया गया कानून अंग्रेजो के लाए गए नमक कानून जैसे ही जनविरोधी हैं। इसीलिए बापू के दांडी मार्च और नमक सत्याग्रह से प्रेरणा लेकर देश भर में लोग मिट्टी सत्याग्रह करने का ठान लिए है। संग्रह की गयी मिट्टी को ससम्मान दिल्ली में चल रहे आंदोलन स्थल पर पंहुचाया जाएगा और वंहा तीन सौ से ज्यादा शहीद हुए किसानों के सम्मान में स्मारक बनाया जाएगा। ज्ञातव्य है की गत 12 मार्च 2021 से शुरू हुए मिट्टी सत्याग्रह कार्यक्रम में अबतक मोर्चा के कार्यकर्ता सर्व सेवा संघ राजघाट, रविदास मंदिर ,एलआईसी , राजातालाब आदि जगहों के साथ साथ देश के पूर्व प्रधानमंत्री और जय जवान जय किसान का ऐतिहासिक नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्मस्थली रामनगर से मिट्टी संग्रह कर चुके हैं। सूफी संत कबीर के जन्मस्थान लहरतारा में साधु सुशील दास जी ने शहीद किसान स्मारक के लिए मिट्टी दान किया।लहरतारा क्षेत्र में जनसम्पर्क के दौरान वक्ताओं ने कहा की ये वर्ष असहयोग आंदोलन के 100 वर्ष पूरे होने का है। ब्रिटिश हुकूमत को हमने एकजुट होकर जैसे भगाया था ठीक वैसे ही आई.एम.एफ., विश्व बैंक, देसी विदेशी कारपोरेट के चक्कर में फँसे अपने देश को आज़ाद करने के लिए कमर कसनी होगी। दुखद है कि देश में एक ऐसी सरकार है जो रोज केवल यह सोचती है कि रेल , हवाई जहाज कम्पनी, कल कारखाने सब निजी हाथों में कैसे बेच दिए जाएं। पेट्रोल गैस मंहगे करके मध्यम वर्ग और गरीब के रसोई में सीधी डकैती की जा रही है। वक्ताओं ने कहा की जब प्रधानमंत्री हमसे आत्मनिर्भर होने को कह रहे थे और मीडिया, सुशांत सिंह राजपूत, रिया चक्रबर्ती और कंगना रनौत में व्यस्त थी। उसी समय भाजपा सरकार ने खेती किसानी के तीन कानून संसद में बदल दिए। ये तीनों कानून देशी – विदेशी बड़की अमीर कंपनियों को लाभ देने वाले हैं। कोरोना बाजार बंदी और आमदनी की तमाम दिक्क्तों के बावजूद किसान अब तक आत्मनिर्भर था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कानून में किये गए ये बदलाव किसानों की जिंदगी में बेहद बुरा असर लेकर आने वाले हैं। अब तक बीज, खाद, कीटनाशक पर कार्पोरेट का कब्जा था, अब कृषि उपज और किसानों की जमीन पर भी कारपोरेट का कब्जा हो जाएगा। छुट्टा पशुओं के आतंक से ही परेशान किसान इन बड़े सींग और दांतो वाले धनपशुओं से कैसे अपनी जान बचा पाएगा। किसानों की आमदनी दुगुनी करने के वायदे के साथ सत्ता में आई भाजपा ने किसानों की फ़टी जेब भी कुतरने की ठान ली है। खेवली गाँव मे सुदामा प्रसाद पांडेय धूमिल जी के पैतृक आवास पर उनके सुपुत्र द्वय रत्न शंकर पांडेय एवं देवी शंकर पांडेय जी ने मिट्टी दान करके किसान आंदोलन के साथ एकजुटता प्रदर्शित किया। रत्न शंकर पांडेय जी ने युवाओं का आह्वान करते हुए धूमिल जी की पंक्तियों से स्वागत किया और कहा कि हे भाई हे! अगर चाहते हो कि हवा का रुख बदले तो एक काम करो- हे भाई हे!! संसद जाम करने से बेहतर है सड़क जाम करो। प्रभाकर सिंह किसान कानूनों को समझाते हुए प्राइवेट मंडी खोलने के विषयक पहले कानून के बारे में बतलाया गया की सरकार कह रही है कि किसान अब अपनी फसल जहां चाहे बेचने केलिए आजाद है। अब वो मंडी में बेचने के लिए मजबूर नहीं रहेगा। अब आप सोचिये आज तक किसान जहां चाहता वहां फसल बेचता था तो यह बिना मांगे जबरन आज़ादी किस बात की ? पीछे का असली खेल ये है की ,अब तक तो मंडी थी तो जो सरकारी दाम यानी कि MSP ( न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय था उसके आस पास किसान बेचते थे। व्यापारी या आढ़तिया मंडी में खरीदता था। लेकिन जब मंडी समिति और MSP का वजूद ही नहीं बचेगा तो किसान को मजबूरन अपनी फसल औने -पौने दाम में बेचनी होगी। दुसरे बिल के बारे में बतलाते हुए नन्दलाल मास्टर ने बताया की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक तरह से वो दिन लेकर आएगा जैसा चम्पारण में सौ साल पहले अंग्रेज नील की खेती करवाते थे। जमीन आपकी रहेगी लेकिन कब क्या कैसे कितना बोना है ये सब कम्पनी मालिक बताएगा। तीसरे कानून ‘ आवश्यक वस्तु कानून ‘ के विषय मे जागृति राही ने बताया कि इसके तहत सरकार की यह जिम्मेदारी थी कि जीवन यापन के लिए जरूरी चीजों जैसे, गेंहूं, चावल, दाल, आलू वगैरह के दाम पर वह नियंत्रण रखती थी। देश में कंही अगर दाम अचानक बढ़े तो सरकार हस्तक्षेप करके दाम नियंत्रित करती थी , साथ ही यह व्यवस्था भी करती थी की जरूरी चीजें सबको मिल भी जाए। नए कानून के बाद अब फैसला कंपनी और व्यापारियों के हाथ में होगा। उनके दाम बढ़ाने पर सरकार कोई रोकटोक नहीं करेगी। ठीक वैसे ही जैसे आज पेट्रोल डीजल के दाम रोज बढ़ रहे है और मूल्य नियंत्रण हमारे हाथ में नहीं है कहकर सरकार पल्ला झाड़ ले रही है। कानून को बनाने वाली भाजपा सरकार की मंशा आपके सामने है। वह इसे संसद में पारित कराने की प्रक्रिया को लेकर भी ईमानदार नहीं थी। जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाया गया। और इस बिल का विरोध करने वाले सांसदों को निलंबित कर दिया गया। लोकतंत्र, जनता और तंत्र के बीच पारस्परिक संबंध से संचालित होता है। तंत्र के हर निर्णय में लोक, यानी जनता होनी चाहिये। लेकिन जब लाठियों के इस्तेमाल से जनता की आवाज को कुचला जाता है, तो लोकतंत्र खतरे में आ जाता है। आज किसान, मजदूर, नौजवान महिला सब खतरे में है… और साथ ही खतरे में है वह लोकतांत्रिक व्यवस्था जिसको हमने लाखों कुर्बानियां देकर अंग्रेजों को भगाने के बाद खडा कर दिया था। यात्रा और सभा में प्रमुख रूप से जाग्रति राही , सतीश सिंह , शिव जी सिंह, नंदलाल मास्टर, रत्न शंकर पांडेय, देवी शंकर पांडेय ( सुदामा प्रसाद पांडेय धूमिल के सुपुत्र ) कमलेश यादव , महेंद्र राठौड़ , प्रभाकर सिंह, राजकुमार गुप्ता , दिवाकर सिंह , साक्षी, प्रियेश पांडेय , दीपक सिंह , मृत्युंजय मौर्य, मनीष, अनुष्का, शांतनु सिंह , विवेक मिश्रा, नीरज, मुरारी, धनञ्जय त्रिपाठी, अमन, रजत सिंह आदि मौजूद रहे।