विधि विरुद्ध पीड़ित को जेल में रखना एसडीएम राजातालाब को पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने माना एसडीएम के द्वारा की गई कार्यवाही मनमाना,
बङी खबर, हाइकोर्ट से
गृह सचिव ने हाइकोर्ट से कहा पीङित पक्ष को हर्जाना देगी सरकार,
एसडीएम राजातालाब का काम मनमाना, एसडीएम राजातालाब ने मौलिक अधिकारो का किया हनन,- गृह सचिवजमकर लगाई लताड़ पाया विधि विरूद्ध जेल मे पीङित को रखने का दोषी,
गृह सचिव, एसएसपी वाराणसी और रोहनिया एसओ जवाबदेही से बचे मगर एसडीएम राजातालाब पर गाज गिरना तय, तीन मार्च को अंतिम मौका,एस डी एम को अपने आचरण के सम्बन्ध मे देना है शपथपत्र,रोहनिया थाना मे गैरकानुनी तरीके से गिरफ्तारी पर हाइकोर्ट नाराज,एसडीएम राजातालाब पर जवाबदेही तय, प्रमुख सचिव गृह को व्यक्तिगत हाजिरी से मुक्ति मगर सर्कुलर के अनुपालन की जिम्मेदारी लेनी होगी,
एसडीएम राजातालाब को को गैरकानुनी तरीके से दो आरोपितो को पन्द्रह दिन जेल मे रखना महगा पङ गया है, प्रकरण मे मंगलवार को हाइकोर्ट मे सचिव गृह तरूण गाबा को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पङा था,जबकि वाराणसी एसएसपी,रोहनिया एसओ, एसडीएम राजातालाब भी सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट मे शपथपत्र दाखिल किये थे, विस्त्तृत आदेश गुरूवार को हाइकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हुआ, दस पन्ने के आदेश मे हाइकोर्ट ने एसडीएम राजातालाब को जमकर लताङ लगायी, माना कि एसडीएम राजातालाब मनमाने तरीके से कार्य कर रहे है और स्पष्ट रूप से मौलिक अधिकारो का हनन कर रहे है, एसडीएम ने अपने पदीय कर्तब्य का अनुपालन नही किया और पीङित पक्षकारो को 12अक्टुबर से 21अक्टुबर तक अवैध और गैरकानुनी तरीके से जेल मे रखा, एसडीएम राजातालाब को तीन मार्च को व्यक्तिगत तौर पर शपथ पत्र देना है और अपने आचरण के बारे मे सफाई देना है, वही गृह सचिव ने हाइकोर्ट से कहा कि सरकार पीङित पक्षकार को कम्पनसेशन(हर्जाना) देगी,
प्रकरण के मुताबिक मिल्कीपुर के शिव कुमार वर्मा और उसके भाई को रोहनिया पुलिस ने शान्तिभंग की आशंका मे आठ अक्टुबर को गिरफ्तार कर लिया, शिवकुमार वर्मा के अधिवक्ता विरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव व नित्यानन्द राय ने अपराध जमानतीय होने का तर्क देते हुये रिहा करने की दरख्वास्त दी, आरोप है कि एसडीएम राजातालाब ए .मणिकन्डन की अदालत ने जमानत प्रार्थना पत्र पर मनमाने तरीके से कोई कार्यवाही न करते हुये व आरोपित को रिहा न करते हुये पन्द्रह दिन तक जेल मे रखा, सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ताओ ने एसडीएम राजातालाब से गर्मागर्मी भी हो गयी थी,
इतने दिनो तक की गैरकानुनी गिरफ्तारी को शिव कुमार वर्मा और उसके भाई ने हाइकोर्ट के अधिवक्ता गनेश शंकर श्रीवास्तव और अश्वनि कुमार श्रीवास्तव के माध्यम से हाइकोर्ट मे चुनौती दी, न्यायमुर्ती सुर्य प्रकाश केशरवानी और शमीम अहमद की बेंच ने 13 जनवरी 2021को एक सप्ताह मे गृह सचिव यू पी, एसएसपी वाराणसी, एसडीएम राजातालाब, एसओ रोहनिया को एक सप्ताह मे जवाब दाखिल करने को कहा और 27 जनवरी की तारिख अगली सुनवाई को नियत की, हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी एसडीएम राजातालाब ने जवाब दाखिल नही किया, कोर्ट ने यह कहते हुये कि पक्षकार जान बुझकर आदेश की अवहेलना कर रहे है, गृह सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट मे दो फरवरी को तलब कर लिया था, गृह सचिव तरुण गाबा दो फरवरी को हाइकोर्ट मे उपस्थित हुये और कोर्ट को भरोसा दिलाने का प्रयास किये कि इस सम्बन्ध मे सर्कुलर जारी कर दिये गये है और ऐसा मैकेनिज्म विकसित किया जा रहा है कि ऐसी गलती दुबारा ना हो, हाइकोर्ट ने तीन फरवरी को गृह सचिव को व्यक्तिगत हाजिरी से मुक्ति दे दी मगर एसडीएम राजातालाब को तीन मार्च को अपने आचरण के समर्थन मे शपथपत्र देना है, हाइकोर्ट के कङे रूख को देखते हुये एसडीएम अपने को बचा पायेगे इसकी संभावना कम है, सम्भावित कार्यवाही से हङकम्प मचा हुआ है, बनारस बार के पूर्व महामंत्री नित्यानन्द राय ने उम्मीद जाहिर की है यह केस वाराणसी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के लिये नजीर साबित होगा और पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी जो मनमाने और गैरकानुनी तरीके से काम कर रहे है उन पर लगाम लगेगा क्योकि प्रकरण मे सीधे सीधे व्यक्ति के मौलिक अधिकारो जो संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 मे प्रदत्त है उसका उलंघ्घन हुआ है,